महाभारत के समय आषाढ़ अमावस्या को लगा था सूर्य ग्रहण - पं हेमंत शुक्ल 



महाभारत के समय आषाढ़ अमावस्या को लगा था सूर्य ग्रहण - पं हेमंत शुक्ल 


वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण रविवार के दिन 21 जून आषाढ़ अमावस्या को लगेगा। हर साल सूर्य को जब उत्तर या दक्षिण ध्रुव से देखा जाता है तो साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून होता है। इस दिन सूर्य की किरण ज्यादा देर तक रहती है और 22 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन होता है, क्योकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर कम समय के लिए रहती है। यह दिन इस वजह से साल का लंबा दिन भी माना जाएगा देश के कई शहरों में सूर्य ग्रहण वलयाकार छल्ले जैसा नजर आएगा। 


उत्तर प्रदेश के गोंडा निवासी और निशातगंज लखनऊ स्थित माँ ज्योत्सना देवी नवदुर्गा मंदिर के महंत पं हेमंत शुक्ला के अनुसार द्वापर में महाभारत के दौरान आषाढ़ अमावस्या को सूर्य ग्रहण लगा था। जिसके चलते सूर्य के दक्षिणायन होने पर भीष्म पितामह को 6 महीने तक सूर्य के उत्तरायण होने तक का इंतजार करना पड़ा था। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन होने पर आत्मा को नर्क में जाना पड़ता है जबकि सूर्य के उत्तरायण होने पर आत्मा स्वर्ग में जाती है। 


पंडित हेमंत शुक्ल के अनुसार आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर होने वाले सूर्य ग्रहण का सनातन धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्त्व होता है। इस सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल 20 जून को रात्रि में 10 बजकर 31 मिनट से शुरू हो जाएगा और काशी में ग्रहण  स्पर्श 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा ग्रहण का मध्य काल 12 बजकर 18 मिनट पर होगा जबकि ग्रहण का मोक्ष अपराह्न 2 बजकर 04 मिनट तक होगा। नारद पुराण के अनुसार रविवार को 21 जून को भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश से अच्छी बारिश के योग बनेंगे। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में आद्रा नक्षत्र को जीवनदायनी नक्षत्र माना जाता है। क्योंकि आद्रा नक्षत्र का सात्विक अर्थ गीला होता है। आद्रा नक्षत्र में इस ग्रहण का योग है इस चूड़ामणि योग में तंत्र मंत्र यंत्र की साधना अनायास ही सिद्ध हो जाती है, वही गणपति उपनिषद के अनुसार सूर्य ग्रहण काल में रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। मान्यता है कि सूतककाल से ही सूर्य ग्रहण काल तक खान पान से परहेज करना चाहिए वही ग्रहण काल में भोजन जल दूध आदि में कुश या तुलसी दल डाल कर रखना चाहिए। इसके अलावा सूर्य ग्रहण की समाप्ति पर दोबारा स्नान करना चाहिए यथा शक्ति और भक्ति भगवान् का पूजन काना श्रेस्ठ माना जाता है।  


पंडित हेमंत शुक्ला के अनुसार यह इस साल का पहला और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा इसके बाद 2034 में सूर्य ग्रहण नजर आएगा , हालांकि इससे पहले 2031 में भी सूर्य ग्रहण पड़ेगा। वही यह सूर्य ग्रहण देश के केरल राज्य में ही पूर्ण रूप से नजर आएगा।सूर्य ग्रहण का विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। राशियों के अनुसार जातकों को अपने आराध्य देवी-देवताओं की ग्रहण के समय पूजा अर्चना करनी चाहिए, जिससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकेगा। 



वही गोंडा तहसील करनैलगंज के ग्राम पहाड़ापुर के समाज सेवक और ग्राम प्रधान प्रत्याशी पंडित मनोज शुक्ला ने ग्रहण काल के दौरान विश्व के साथ ही क्षेत्र के कल्याण के लिए योग्य पंडितो द्वारा विशेष पूजन किये जाने की मंशा जताई है, और सभी लोगो से वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए सरकार द्वारा बताये जा रहे दिशा निर्देशों का पालन करने की अपील किया।