दशानन मंदिर जहां होती है रावण की पूजा
उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित शिवाला में उत्तर भारत में लंकेश रावण का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो कि सिर्फ दशहरे के दिन ही खुलता है। लगभग 200 वर्ष पुराने दशानन मंदिर में लंकापति रावण देवी देवताओ के पहरेदार के रूप में विराजित है।
विजय दशमी को सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते है साफ़ सफाई के बाद मंदिर के पुजारी द्वारा विधि विधान से रावण का जलाभिषेक, श्रंगार, और पूजन श्रंगार किया जाता है।
मंदिर खोलने के साथ ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है। रावण को तरोई का फूल के साथ सरसो के तेल का दीपक अर्पित किया जाता है। रावण विद्वान पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान् श्री राम और रावण के बीच हुए अंतिम युद्ध के बाद जब रावण युद्ध भूमि पर मृत्यु शैया पर पड़ा था तब प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण को समस्त वेदो के ज्ञाता महापंडित रावण से ज्ञान प्राप्त करने को कहा था।
बड़ी संख्या में लोग यहां रावण की विद्वानता की पूजा करने आते है और रावण से बल, बुद्धि, विद्या का आशीर्वाद लेते है। पूरे दिन बड़ी संख्या में लोग रावण का दर्शन करते आते है और शाम को दशानन का मंदिर पूरे साल के लिए बंद कर दिया जाता है।